आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखो 
तुम को बातों में फँसा लेंगे उधर मत देखो 
चैन लुट जाएगा गर तुम ने उधर देख लिया 
लोग ख़्वाबों में बसा लेंगे उधर मत देखो 
एक अँगारा हो तुम फूल के पैराहन में 
उँगलियाँ लोग जला लेंगे उधर मत देखो 
चाँदनी धूल की मानिंद वहाँ उड़ती है 
तुम को मंज़र वो लुभा लेंगे उधर मत देखो 
हम तो आवारा थे पाँव में सफ़र बाँध चले 
लो नज़र हम ही झुका लेंगे उधर मत देखो
        ग़ज़ल
आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखो
फ़े सीन एजाज़

