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आईने में घूरने वाला है कौन | शाही शायरी
aaine mein ghurne wala hai kaun

ग़ज़ल

आईने में घूरने वाला है कौन

प्रीतपाल सिंह बेताब

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आईने में घूरने वाला है कौन
और उस के सामने वाला है कौन

हर क़दम करता है जो मेरी नफ़ी
मेरे अंदर बोलने वाला है कौन

मैं अगर हूँ आसमाँ-दर-आसमाँ
ये ज़मीं पर रेंगने वाला है कौन

किस के पीछे दौड़ता रहता हूँ मैं
आगे आगे भागने वाला है कौन

मैं हूँ आतिश-दान से चिपका हुआ
बर्फ़-ओ-बाराँ नाचने वाला है कौन

ऐन मेरे ध्यान पर करता है वार
मुझ को मुझ से छीनने वाला है कौन

कौन है 'बेताब' आख़िर गुम-शुदा
और उस को ढूँडने वाला है कौन