आई थी उस तरफ़ जो हवा कौन ले गया
ख़ाली पड़ा है ताक़ दिया कौन ले गया
इस शहर में तो कोई सुलैमान भी नहीं
मैं क्या बताऊँ तख़्त-ए-सबा कौन ले गया
दुश्मन अक़ब में आ भी गया और अभी तलक
तुम को ख़बर नहीं है असा कौन ले गया
अपने बदन से लिपटा हुआ आदमी था मैं
मुझ से छुड़ा के मुझ को बता कौन ले गया
'गौहर' ये माजरा तो परिंदों से पूछना
पेड़ों को क्या पता है हवा कौन ले गया
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ग़ज़ल
आई थी उस तरफ़ जो हवा कौन ले गया
अफ़ज़ल गौहर राव