आई ईद व दिल में नहीं कुछ हवा-ए-ईद
ऐ काश मेरे पास तू आता बजाए ईद
क़ुर्बान सौ तरह से किया तुझ पर आप को
तू भी कभू तो जान न आया बजाए ईद
जितने हैं जामा-ज़ेब जहाँ में सभों के बीच
सजती है तेरे बर में सरापा क़बा-ए-ईद
ग़ज़ल
आई ईद व दिल में नहीं कुछ हवा-ए-ईद
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम