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आहों से मिरे घर में हवा गर्म रहेगी | शाही शायरी
aahon se mere ghar mein hawa garm rahegi

ग़ज़ल

आहों से मिरे घर में हवा गर्म रहेगी

मीर हसन

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आहों से मिरे घर में हवा गर्म रहेगी
मैं जाऊँगा तो भी मिरी जा गर्म रहेगी

भरते ही रहेंगे नफ़स-ए-सर्द हज़ारों
जब तक कि तरी आन-ओ-अदा गर्म रहेगी

जलना मिरे तब दिल का लगेगा ये ठिकाने
सोहबत तरी जब मुझ से सदा गर्म रहेगी

चोटी में दिल-सोख़्ता को गूँध के प्यारे
मत फेक क़िफ़ा पर कि क़िफ़ा गर्म रहेगी

बुलबुल न मुझे दीजियो तो नाले की तकलीफ़
वर्ना असर इस के से सबा गर्म रहेगी

जब तक नहिं तो दुख़्तर-ए-रज़ ही को रखूँगा
कुछ तो ये बग़ल मेरी भला गर्म रहेगी

उश्शाक़ को तर्ग़ीब-ए-मोहब्बत ही करेगा
जब तक है 'हसन' बज़्म-ए-वफ़ा गर्म रहेगी