आहें भरेंगे हम कभी नाला करेंगे हम
जब तक न बोलिएगा पुकारा करेंगे हम
दुनिया को दीन दीन को दुनिया करेंगे हम
तेरे बनेंगे हम तुझे अपना करेंगे हम
कुछ है तो यादगार-ए-मोहब्बत यही सही
वो छोड़ दें सितम भी तो फिर क्या करेंगे हम
दा'वे बड़े हैं तुम को जवानी की नींद पर
अच्छा तो आज रात को नाला करेंगे हम
दिल ऐसा साथ खेला हुआ दोस्त और दग़ा
अब क्या किसी पे ख़ाक भरोसा करेंगे हम
फिर तालिबान-ए-दीद को आँखें फ़ुज़ूल दें
जब आप जानने थे कि पर्दा करेंगे हम
तिनके चुने कभी तो कभी ख़ाक उड़ाई है
'मंज़र' न जाने और अभी क्या करेंगे हम
ग़ज़ल
आहें भरेंगे हम कभी नाला करेंगे हम
मंज़र लखनवी