आहें अफ़्लाक में मिल जाती हैं
मेहनतें ख़ाक में मिल जाती हैं
सूरतें आबला-हा-ए-दिल की
ख़ोशा-ए-ताक में मिल जाती हैं
सैद-ए-बिस्मिल की निगाहें सय्याद
तेरे फ़ितराक में मिल जाती हैं
निगहें यार की जूँ तार-ए-रफ़ू
जिगर-ए-चाक में मिल जाती हैं
पोपले ज़ाहिदों की खाते वक़्त
ठोड़ियाँ नाक में मिल जाती हैं
थलकियाँ दिल की 'बक़ा' देखूँगी
ज़ख़्म-ए-कावाक में मिल जाती हैं
ग़ज़ल
आहें अफ़्लाक में मिल जाती हैं
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'