आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
मैं किसी रूमान-ए-ग़म का मरकज़ी किरदार हूँ
मुद्दतों खेली हैं मुझ से ग़म की बेदर्द उँगलियाँ
मैं रबाब-ए-ज़ि़ंदगी का इक शिकस्ता तार हूँ
दूसरों का दर्द 'अख़्तर' मेरे दिल का दर्द है
मुब्तला-ए-ग़म है दुनिया और मैं ग़म-ख़्वार हूँ
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ग़ज़ल
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
अख़्तर अंसारी