आए हैं रंग बहाली पर
रखता हूँ क़दम हरियाली पर
इक सूरज मेरी मुट्ठी में
इक सूरज हल की फाली पर
वही एक चराग़ दमकता है
गंदुम की बाली बाली पर
दिल दुखता है दिल रोता है
इक पत्ते की पामाली पर
किसी अन-दाता पर गिर जाता
इक सिक्का कासा-ए-ख़ाली पर
कोई नूर ज़ुहूर करे 'सरवत'
उसी हम्द-अलहम्द की जाली पर
ग़ज़ल
आए हैं रंग बहाली पर
सरवत हुसैन