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आधी आग और आधा पानी हम दोनों | शाही शायरी
aadhi aag aur aadha pani hum donon

ग़ज़ल

आधी आग और आधा पानी हम दोनों

मदन मोहन दानिश

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आधी आग और आधा पानी हम दोनों
जलती-बुझती एक कहानी हम दोनों

मंदिर मस्जिद गिरिजा-घर और गुरुद्वारा
लफ़्ज़ कई हैं एक मआ'नी हम दोनों

रूप बदल कर नाम बदल कर आते हैं
फ़ानी हो कर भी ला-फ़ानी हम दोनों

ज्ञानी ध्यानी चतुर सियानी दुनिया में
जीते हैं अपनी नादानी हम दोनों

आधा आधा बाँट के जीते रहते हैं
रौनक़ हो या हो वीरानी हम दोनों

नज़र लगे ना अपनी जगमग दुनिया को
करते रहते हैं निगरानी हम दोनों

ख़्वाबों का इक नगर बसा लेते हैं रोज़
और बन जाते हैं सैलानी हम दोनों

तू सावन की शोख़ घटा में प्यासा बन
चल करते हैं कुछ मन-मानी हम दोनों

इक-दूजे को रोज़ सुनाते हैं 'दानिश'
अपनी अपनी राम-कहानी हम दोनों