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आ तेरी गली में मर गए हम | शाही शायरी
aa teri gali mein mar gae hum

ग़ज़ल

आ तेरी गली में मर गए हम

मीर मोहम्मदी बेदार

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आ तेरी गली में मर गए हम
मंज़ूर जो था सो कर गए हम

तुझ बिन गुलशन में गर गए हम
जूँ शबनम चश्म-तर गए हम

पाते नहीं आप को कहीं याँ
हैरान हैं किस के घर गए हम

उस आईना-रू के हो मुक़ाबिल
मालूम नहीं किधर गए हम

गो बज़्म में हम से वो न बोला
बातें आँखों में कर गए हम










जूँ शम्अ उस अंजुमन से 'बेदार'
ले दाग़-ए-दिल-ओ-जिगर गए हम