EN اردو
Siyasat शायरी | शाही शायरी

Siyasat

12 शेर

इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले
ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले

नादिम नदीम




हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना

निदा फ़ाज़ली




नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है

राहत इंदौरी




इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
क़ुर्बतों में भी फ़ासला निकला

रसा चुग़ताई




काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ

शकील बदायुनी