रिश्ते नाते टूटे फूटे लगे हैं
जब भी अपना साया साथ नहीं होता
हनीफ़ तरीन
टैग:
| साया |
| 2 लाइन शायरी |
इस दश्त-ए-सुख़न में कोई क्या फूल खिलाए
चमकी जो ज़रा धूप तो जलने लगे साए
हिमायत अली शाएर
रौशनी में अपनी शख़्सियत पे जब भी सोचना
अपने क़द को अपने साए से भी कम-तर देखना
हिमायत अली शाएर
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा
कैफ़ी आज़मी
टैग:
| साया |
| 2 लाइन शायरी |
धूप साए की तरह फैल गई
इन दरख़्तों की दुआ लेने से
काशिफ़ हुसैन ग़ाएर
टैग:
| साया |
| 2 लाइन शायरी |
ज़िंदगी धूप में आने से खुली
साया दीवार उठाने से खुला
काशिफ़ हुसैन ग़ाएर
वो तपिश है कि जल उठे साए
धूप रक्खी थी साएबान में क्या
ख़ालिदा उज़्मा