मैं ख़ुद ही अपने तआक़ुब में फिर रहा हूँ अभी
उठा के तू मेरी राहों से रास्ता ले जा
लुत्फ़ुर्रहमान
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कोई रस्ता कहीं जाए तो जानें
बदलने के लिए रस्ते बहुत हैं
महबूब ख़िज़ां
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यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
निदा फ़ाज़ली
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यक़ीनन रहबर-ए-मंज़िल कहीं पर रास्ता भूला
वगर्ना क़ाफ़िले के क़ाफ़िले गुम हो नहीं सकते
निसार इटावी
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सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है
शहबाज़ ख़्वाजा
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