EN اردو
Qatil शायरी | शाही शायरी

Qatil

9 शेर

ख़ुदा के वास्ते इस को न टोको
यही इक शहर में क़ातिल रहा है

मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ




कौन पुरसाँ है हाल-ए-बिस्मिल का
ख़ल्क़ मुँह देखती है क़ातिल का

शैख़ अली बख़्श बीमार