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Mazi शायरी | शाही शायरी

Mazi

16 शेर

तमीज़-ए-ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त है शर्त-ए-बेदारी
ख़याल-ए-अज़्मत-ए-माज़ी को छोड़ हाल को देख

सिकंदर अली वज्द




ये जो माज़ी की बात करते हैं
सोचते होंगे हाल से आगे

ताहिर अज़ीम