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अव्यवस्थित शब्द शायरी | शाही शायरी

अव्यवस्थित शब्द

19 शेर

हम बहकते हुए आते हैं तिरे दरवाज़े
तेरे दरवाज़े बहकते हुए आते हैं हम

अहमद अता




कौन आता है इस ख़राबे में
इस ख़राबे में कौन आता है

अजमल सिराज




रह गया दिल में इक दर्द सा
दिल में इक दर्द सा रह गया

अजमल सिराज




ठहर गया है दिल का जाना
दिल का जाना ठहर गया है

अजमल सिराज




ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
चाहती क्या है ज़िंदगी हम से

अजमल सिराज




बात भी कीजिए देख भी लीजिए
देख भी लीजिए बात भी कीजिए

अली ज़रयून




बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो
अगरचे मेहरबाँ है वो बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो

अनीस अंसारी