है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
शहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
कई फ़ाक़ों में ईद आई है
आज तू हो तो जान हम-आग़ोश
ताबाँ अब्दुल हई
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ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
और कहियो कि कोई याद किया करता है
त्रिपुरारि
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