फ़रेब-ए-रौशनी में आने वालो मैं न कहता था
कि बिजली आशियाने की निगहबाँ हो नहीं सकती
शफ़ीक़ जौनपुरी
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ये अब्र है या फ़ील-ए-सियह-मस्त है साक़ी
बिजली के जो है पाँव में ज़ंजीर हवा पर
शाह नसीर
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