जिसे न आने की क़स्में मैं दे के आया हूँ
उसी के क़दमों की आहट का इंतिज़ार भी है
जावेद नसीमी
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
कैफ़ भोपाली
कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई
दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई
ख़ुर्शीद अहमद जामी
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इस अँधेरे में न इक गाम भी रुकना यारो
अब तो इक दूसरे की आहटें काम आएँगी
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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आहटें सुन रहा हूँ यादों की
आज भी अपने इंतिज़ार में गुम
रसा चुग़ताई