अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मिरा
सख़्त नादिम है मुझे दाम में लाने वाला
अहमद फ़राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह
आसमानों से नए लोग उतारे जाएँ
अहमद फ़राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं
अहमद फ़राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
अहमद फ़राज़
टैग:
| Charagh |
| 2 लाइन शायरी |
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
अहमद फ़राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है
अहमद फ़राज़
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते
अहमद फ़राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |