आशियाँ जलने पे बुनियाद नई पड़ती है
अक्स-ए-तख़रीब को आईना-ए-तामीर कहो
वाहिद प्रेमी
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आशियाँ जलने पे बुनियाद नई पड़ती है
अक्स-ए-तख़रीब को आईना-ए-तामीर कहो
वाहिद प्रेमी