ज़ब्त करता हूँ वले इस पर भी है ये जोश-ए-अश्क 
गिर पड़ा जो आँख से क़तरा वो दरिया हो गया
मीर तस्कीन देहलवी
    टैग: 
            | 2 लाइन शायरी   |
            | 2 लाइन शायरी   |
    
                 
                10 शेर
ज़ब्त करता हूँ वले इस पर भी है ये जोश-ए-अश्क 
गिर पड़ा जो आँख से क़तरा वो दरिया हो गया
मीर तस्कीन देहलवी