हो गई है मिरी उजड़ी हुई दुनिया आबाद
मैं उसे ढूँढ रहा हूँ ये बताने के लिए
शकील जमाली
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हर कोने से तेरी ख़ुशबू आएगी
हर संदूक़ में तेरे कपड़े निकलेंगे
शकील जमाली
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ग़म के पीछे मारे मारे फिरना क्या
ये दौलत तो घर बैठे आ जाती है
शकील जमाली
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अपने ख़ून से इतनी तो उम्मीदें हैं
अपने बच्चे भीड़ से आगे निकलेंगे
शकील जमाली
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अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
तो फिर तुझे ज़रा पहले बताना चाहिए था
शकील जमाली
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