मेरे अंदर उसे खोने की तमन्ना क्यूँ है
जिस के मिलने से मिरी ज़ात को इज़हार मिले
साक़ी फ़ारुक़ी
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मेरी आँखों में अनोखे जुर्म की तज्वीज़ थी
सिर्फ़ देखा था उसे उस का बदन मैला हुआ
साक़ी फ़ारुक़ी
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