उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
क्यूँ फिर इस तर्क-ए-तअल्लुक़ से पशेमान था मैं
साहिल अहमद
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उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
क्यूँ फिर इस तर्क-ए-तअल्लुक़ से पशेमान था मैं
साहिल अहमद