नवाज़ा है मुझे पत्थर से जिस ने
उसे मैं फूल दे कर देखता हूँ
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रह-ए-क़रार अजब राह-ए-बे-क़रारी है
रुके हुए हैं मुसाफ़िर सफ़र भी जारी है
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
सफ़र का रुख़ बदल कर देखता हूँ
कुछ अपनी सम्त चल कर देखता हूँ
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
शाम-ए-अवध ने ज़ुल्फ़ में गूँधे नहीं हैं फूल
तेरे बग़ैर सुब्ह-ए-बनारस उदास है
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तेरा होना न मान कर गोया
तुझ को तस्लीम कर रहा हूँ मैं
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
ज़रा देखें तो दुनिया कैसे कैसे रंग भरती है
चलो हम अपने अफ़्साने का ग़म उनवान रखते हैं
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |