EN اردو
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर शायरी | शाही शायरी

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर शेर

15 शेर

नवाज़ा है मुझे पत्थर से जिस ने
उसे मैं फूल दे कर देखता हूँ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर




रह-ए-क़रार अजब राह-ए-बे-क़रारी है
रुके हुए हैं मुसाफ़िर सफ़र भी जारी है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर




सफ़र का रुख़ बदल कर देखता हूँ
कुछ अपनी सम्त चल कर देखता हूँ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर




शाम-ए-अवध ने ज़ुल्फ़ में गूँधे नहीं हैं फूल
तेरे बग़ैर सुब्ह-ए-बनारस उदास है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर




तेरा होना न मान कर गोया
तुझ को तस्लीम कर रहा हूँ मैं

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर




ज़रा देखें तो दुनिया कैसे कैसे रंग भरती है
चलो हम अपने अफ़्साने का ग़म उनवान रखते हैं

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर