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नज़ीर बनारसी शायरी | शाही शायरी

नज़ीर बनारसी शेर

14 शेर

रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
न इधर होती है ज़ालिम न उधर होती है

नज़ीर बनारसी




उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में
एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया

नज़ीर बनारसी




वो आइना हूँ जो कभी कमरे में सजा था
अब गिर के जो टूटा हूँ तो रस्ते में पड़ा हूँ

नज़ीर बनारसी




ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
मिरी ख़ैरियत भी पूछी किसी और की ज़बानी

नज़ीर बनारसी




ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
ज़िंदगी दो दिन की है दो दिन में हम क्या क्या करें

नज़ीर बनारसी