रात के बाद वो सुब्ह कहाँ है दिन के बाद वो शाम कहाँ
जो आशुफ़्ता-सरी है मुक़द्दर उस में क़ैद-ए-मक़ाम कहाँ
मुख़्तार सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सहर-ए-अज़ल को जो दी गई वही आज तक है मुसाफ़िरी
ऐ तय करें तो पता चले कहाँ कौन किस की तलब में है
मुख़्तार सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |