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मुख़्तार सिद्दीक़ी शायरी | शाही शायरी

मुख़्तार सिद्दीक़ी शेर

11 शेर

रात के बाद वो सुब्ह कहाँ है दिन के बाद वो शाम कहाँ
जो आशुफ़्ता-सरी है मुक़द्दर उस में क़ैद-ए-मक़ाम कहाँ

मुख़्तार सिद्दीक़ी




सहर-ए-अज़ल को जो दी गई वही आज तक है मुसाफ़िरी
ऐ तय करें तो पता चले कहाँ कौन किस की तलब में है

मुख़्तार सिद्दीक़ी