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मोहम्मद अहमद रम्ज़ शायरी | शाही शायरी

मोहम्मद अहमद रम्ज़ शेर

12 शेर

तुम आ गए हो तो मुझ को ज़रा सँभलने दो
अभी तो नश्शा सा आँखों में इंतिज़ार का है

मोहम्मद अहमद रम्ज़




तुम आ गए हो तुम मुझ को ज़रा सँभलने दो
अभी तो नश्शा सा आँखों में इंतिज़ार का है

मोहम्मद अहमद रम्ज़




उस का तरकश ख़ाली होने वाला है
मेरे नाम का तीर है कितने तीरों में

मोहम्मद अहमद रम्ज़