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मख़मूर देहलवी शायरी | शाही शायरी

मख़मूर देहलवी शेर

11 शेर

मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर पहुँच कर चैन पाते हैं
वो मौजें सर पटकती हैं जिन्हें साहिल नहीं मिलता

मख़मूर देहलवी




तुम्हारे नाम से मंसूब हो जाते हैं दीवाने
ये अपने होश में होते तो पहचाने कहाँ जाते

मख़मूर देहलवी