तुझे रौशनी से जुदा करूँ किसी शाम मैं
तुझे इतनी ताब में देखना नहीं हो रहा
महेंद्र कुमार सानी
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उसे मैं दूर ही से देखता रहा 'सानी'
जो आज पानी में उतरा हूँ तो खुला दरिया
महेंद्र कुमार सानी
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यक़ीनन सोचता होगा वो मुझ को
उसे मैं ने अभी सोचा नहीं है
महेंद्र कुमार सानी
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