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ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी शायरी | शाही शायरी

ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी शेर

65 शेर

ख़ुद-ब-ख़ुद अपना जनाज़ा है रवाँ
हम ये किस के कुश्ता-ए-रफ़्तार हैं

ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी




किसी को देख के साक़ी जो बे-हवास हुआ
शराब सीख़ पे डाली कबाब शीशे में

ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी