ख़ुद-ब-ख़ुद अपना जनाज़ा है रवाँ 
हम ये किस के कुश्ता-ए-रफ़्तार हैं
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी
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                किसी को देख के साक़ी जो बे-हवास हुआ 
शराब सीख़ पे डाली कबाब शीशे में
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी
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