बाबू-गीरी करते हो गए 'आली' को दो साल
मुरझाया वो फूल सा चेहरा भूरे पड़ गए बाल
जमीलुद्दीन आली
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अजनबियों से धोके खाना फिर भी समझ में आता है
इस के लिए क्या कहते हो वो शख़्स तो देखा-भाला था
जमीलुद्दीन आली
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