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जमीलुद्दीन आली शायरी | शाही शायरी

जमीलुद्दीन आली शेर

29 शेर

बाबू-गीरी करते हो गए 'आली' को दो साल
मुरझाया वो फूल सा चेहरा भूरे पड़ गए बाल

जमीलुद्दीन आली




अजनबियों से धोके खाना फिर भी समझ में आता है
इस के लिए क्या कहते हो वो शख़्स तो देखा-भाला था

जमीलुद्दीन आली