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जमील मज़हरी शायरी | शाही शायरी

जमील मज़हरी शेर

10 शेर

नहीं अफ़्सूँ ही को अफ़्साने की मंज़िल मालूम
ग़लत आग़ाज़ का होता ही है अंजाम ग़लत

जमील मज़हरी