या मुझे तेरी हथेली बूझे
या कोई शोख़ सहेली बूझे
इशरत आफ़रीं
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ये और बात कि कम-हौसला तो मैं भी थी
मगर ये सच है उसे पहले मैं ने चाहा था
इशरत आफ़रीं
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