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इशरत आफ़रीं शायरी | शाही शायरी

इशरत आफ़रीं शेर

11 शेर

या मुझे तेरी हथेली बूझे
या कोई शोख़ सहेली बूझे

इशरत आफ़रीं




ये और बात कि कम-हौसला तो मैं भी थी
मगर ये सच है उसे पहले मैं ने चाहा था

इशरत आफ़रीं