यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
तिरे फ़िराक़ में दामन भी तार तार किया
इक़बाल कैफ़ी
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यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
तिरे फ़िराक़ में दामन भी तार तार किया
इक़बाल कैफ़ी