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इब्न-ए-सफ़ी शायरी | शाही शायरी

इब्न-ए-सफ़ी शेर

11 शेर

लिखने को लिख रहे हैं ग़ज़ब की कहानियाँ
लिक्खी न जा सकी मगर अपनी ही दास्ताँ

इब्न-ए-सफ़ी




ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म

इब्न-ए-सफ़ी