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हिज्र नाज़िम अली ख़ान शायरी | शाही शायरी

हिज्र नाज़िम अली ख़ान शेर

12 शेर

न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था
किसी का इश्क़ न था वो भी क्या ज़माना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान




शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा
कि रात भर दिल-ए-ग़म-दीदा बे-क़रार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान




उस बज़्म में जो कुछ नज़र आया नज़र आया
अब कौन बताए कि हमें क्या नज़र आया

हिज्र नाज़िम अली ख़ान