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हम्माद नियाज़ी शायरी | शाही शायरी

हम्माद नियाज़ी शेर

19 शेर

आख़िरी बार मैं कब उस से मिला याद नहीं
बस यही याद है इक शाम बहुत भारी थी

हम्माद नियाज़ी