न जाने किस तरह बिस्तर में घुस कर बैठ जाती हैं
वो आवाज़ें जिन्हें हम रोज़ बाहर छोड़ आते हैं
ग़ज़नफ़र
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
ख़्वाबों का ये शौक़ हमें वीरानी दे कर जाएगा
ग़ज़नफ़र
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तुम्हारे होते हुए लोग क्यूँ भटकते हैं
कहीं पे ख़िज़्र नज़र आए तो सवाल करूँ
ग़ज़नफ़र
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़ेहन के ख़ानों में जाने वक़्त ने क्या भर दिया
बे-सबब होने लगी इक एक से अन-बन मिरी
ग़ज़नफ़र
टैग:
| 2 लाइन शायरी |