ज़ेहन की आवारगी को भी पनाहें चाहिए
यूँ न शम्ओं को किसी दहलीज़ पर रख कर बुझा
फ़ारूक़ शफ़क़
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ज़ेहन की आवारगी को भी पनाहें चाहिए
यूँ न शम्ओं को किसी दहलीज़ पर रख कर बुझा
फ़ारूक़ शफ़क़