शाम ख़ामोश है पेड़ों पे उजाला कम है
लौट आए हैं सभी एक परिंदा कम है
फ़हीम जोगापुरी
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तेरी यादें हो गईं जैसे मुक़द्दस आयतें
चैन आता ही नहीं दिल को तिलावत के बग़ैर
फ़हीम जोगापुरी
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तुम्हारी याद से ये रात कितनी रौशन है
नज़र में इतने हैं जुगनू कि हम गिनाएँ क्या
फ़हीम जोगापुरी
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वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से
फ़हीम जोगापुरी
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