EN اردو
अज़ीज़ लखनवी शायरी | शाही शायरी

अज़ीज़ लखनवी शेर

54 शेर

आईना छोड़ के देखा किए सूरत मेरी
दिल-ए-मुज़्तर ने मिरे उन को सँवरने न दिया

अज़ीज़ लखनवी




आप जिस दिल से गुरेज़ाँ थे उसी दिल से मिले
देखिए ढूँढ निकाला है कहाँ से मैं ने

अज़ीज़ लखनवी




अहद में तेरे ज़ुल्म क्या न हुआ
ख़ैर गुज़री कि तू ख़ुदा न हुआ

अज़ीज़ लखनवी




ऐ सोज़-ए-इश्क़-ए-पिन्हाँ अब क़िस्सा मुख़्तसर है
इक्सीर हो चला हूँ इक आँच की कसर है

अज़ीज़ लखनवी




अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का

अज़ीज़ लखनवी




बनी हैं शहर-आशोब-ए-तमन्ना
ख़ुमार-आलूदा आँखें रात-भर की

अज़ीज़ लखनवी




बताओ ऐसे मरीज़ों का है इलाज कोई
कि जिन से हाल भी अपना बयाँ नहीं होता

अज़ीज़ लखनवी




बे-ख़ुदी कूचा-ए-जानाँ में लिए जाती है
देखिए कौन मुझे मेरी ख़बर देता है

अज़ीज़ लखनवी




दिल के अज्ज़ा में नहीं मिलता कोई जुज़्व-ए-निशात
इस सहीफ़े से किसी ने इक वरक़ कम कर दिया

अज़ीज़ लखनवी