आप का ख़त नहीं मिला मुझ को
दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
असर लखनवी
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आज कुछ मेहरबान है सय्याद
क्या नशेमन भी हो गया बर्बाद
असर लखनवी
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