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अनवर ताबाँ शायरी | शाही शायरी

अनवर ताबाँ शेर

19 शेर

आज मग़्मूम क्यूँ हो ऐ 'ताबाँ'
कुछ तो बोलो कि माजरा क्या है

अनवर ताबाँ