EN اردو
अनवर मोअज़्ज़म शायरी | शाही शायरी

अनवर मोअज़्ज़म शेर

12 शेर

सब दिखाते हैं तिरा अक्स मिरी आँखों में
हम ज़माने को इसी तौर से महबूब हुए

अनवर मोअज़्ज़म




वक़्त झूमे कहीं बहके कहीं थम जाए कहीं
खिल उठें नक़्श-ए-क़दम यूँ कोई दीवाना चले

अनवर मोअज़्ज़म




वो हबीब हो कि रहबर वो रक़ीब हो कि रहज़न
जो दयार-ए-दिल से गुज़रे उसे हम-कलाम कर लो

अनवर मोअज़्ज़म