सब दिखाते हैं तिरा अक्स मिरी आँखों में
हम ज़माने को इसी तौर से महबूब हुए
अनवर मोअज़्ज़म
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वक़्त झूमे कहीं बहके कहीं थम जाए कहीं
खिल उठें नक़्श-ए-क़दम यूँ कोई दीवाना चले
अनवर मोअज़्ज़म
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वो हबीब हो कि रहबर वो रक़ीब हो कि रहज़न
जो दयार-ए-दिल से गुज़रे उसे हम-कलाम कर लो
अनवर मोअज़्ज़म
टैग:
| 2 लाइन शायरी |