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अंजुम आज़मी शायरी | शाही शायरी

अंजुम आज़मी शेर

13 शेर

क्यूँ हुआ मुझ को इनायत की नज़र का सौदा
आज रुस्वाई ही रुस्वाई है कुछ और नहीं

अंजुम आज़मी




मेरी दुनिया में अभी रक़्स-ए-शरर होता है
जो भी होता है ब-अंदाज़-ए-दिगर होता है

अंजुम आज़मी




निकलो भी कभी सूद-ओ-ज़ियाँ से वर्ना
कूचे में तिरे कौन भला आएगा

अंजुम आज़मी




तुझ से पर्दा नहीं मिरे ग़म का
तू मिरी ज़िंदगी का महरम है

अंजुम आज़मी