क्यूँ हुआ मुझ को इनायत की नज़र का सौदा
आज रुस्वाई ही रुस्वाई है कुछ और नहीं
अंजुम आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मेरी दुनिया में अभी रक़्स-ए-शरर होता है
जो भी होता है ब-अंदाज़-ए-दिगर होता है
अंजुम आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
निकलो भी कभी सूद-ओ-ज़ियाँ से वर्ना
कूचे में तिरे कौन भला आएगा
अंजुम आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तुझ से पर्दा नहीं मिरे ग़म का
तू मिरी ज़िंदगी का महरम है
अंजुम आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |