होना पड़ा है ख़ूगर-ए-ग़म भी ख़ुशी की ख़ैर
वो मुझ पे मेहरबाँ हैं मगर बे-रुख़ी के साथ
अमीर क़ज़लबाश
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हर क़दम पे नाकामी हर क़दम पे महरूमी
ग़ालिबन कोई दुश्मन दोस्तों में शामिल है
It was as if amidst my friends there was an enemy
A failure and deprived at every step did I remain
अमीर क़ज़लबाश
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एक ख़बर है तेरे लिए
दिल पर पत्थर भारी रख
अमीर क़ज़लबाश
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अपने हमराह ख़ुद चला करना
कौन आएगा मत रुका करना
अमीर क़ज़लबाश
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अब सिपर ढूँड कोई अपने लिए
तीर कम रह गए कमानों में
अमीर क़ज़लबाश
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आज की रात भी गुज़री है मिरी कल की तरह
हाथ आए न सितारे तिरे आँचल की तरह
अमीर क़ज़लबाश
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