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अमीर क़ज़लबाश शायरी | शाही शायरी

अमीर क़ज़लबाश शेर

33 शेर

आइने से नज़र चुराते हैं
जब से अपना जवाब देखा है

अमीर क़ज़लबाश




आज की रात भी गुज़री है मिरी कल की तरह
हाथ आए न सितारे तिरे आँचल की तरह

अमीर क़ज़लबाश




अब सिपर ढूँड कोई अपने लिए
तीर कम रह गए कमानों में

अमीर क़ज़लबाश




अपने हमराह ख़ुद चला करना
कौन आएगा मत रुका करना

अमीर क़ज़लबाश




एक ख़बर है तेरे लिए
दिल पर पत्थर भारी रख

अमीर क़ज़लबाश




हर क़दम पे नाकामी हर क़दम पे महरूमी
ग़ालिबन कोई दुश्मन दोस्तों में शामिल है

It was as if amidst my friends there was an enemy
A failure and deprived at every step did I remain

अमीर क़ज़लबाश




होना पड़ा है ख़ूगर-ए-ग़म भी ख़ुशी की ख़ैर
वो मुझ पे मेहरबाँ हैं मगर बे-रुख़ी के साथ

अमीर क़ज़लबाश




इक परिंदा अभी उड़ान में है
तीर हर शख़्स की कमान में है

अमीर क़ज़लबाश




इतना बेदारियों से काम न लो
दोस्तो ख़्वाब भी ज़रूरी है

अमीर क़ज़लबाश